Saturday, September 17, 2011

मेरे लिये वह एक चाहत भरी झीन्दगी है !

मेरे लिये वह एक चाहत भरी झीन्दगी है ! जिसे काफी कारीबसे चाहा है ! ज्यो मेरे पोहोच के बाहर है ! लेकीन यकीन है ! उसे हासील करना एक मक्सद है ! होसला बुलंद है ! विश्वास कि एक चिंगारी जगनी है ! फिर मंजिल करीब है 
bhushan patil

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